इस अनोखे मंदिर में दीपक घी या तेल से नहीं बल्कि जलता है पानी से!, जानें आखिर क्या है रहस्य

भारत में अनोखे और बेसिमाल मंदिरों की कोई गिनती है। हर एक मंदिर का अपना-अपना एक महत्व और श्रृद्धा है। लेकिन आपको हम एक ऐसे मंदिर के बारें में बता रहे है। जहां पर मां के दर पर दीपक घी या तेल से नहीं जलता है बल्कि पानी से जलता है। जी हां चौक गए ना लेकिन यह सच है। मध्यप्रदेश के गड़ियाघाट माताजी के मंदिर को अनोखी घटना के लिए जाना जाता है। पिछले 5 सालों से इस मंदिर में पानी से दीपक जलाए जा रहे हैं।

मां ने दिया था सपना

इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने वाले पुजारी बताते हैं कि, पहले यहां हमेशा तेल का दीपक जला करता था, लेकिन करीब पांच साल पहले उन्हें माता ने सपने में दर्शन देकर पानी से दीपक जलाने के लिए कहा। सुबह उठकर जब उन्होंने पास बह रही कालीसिंध नदी से पानी भरा और उसे दीए में डाला। दीए में रखी रुई के पास जैसे ही जलती हुई माचिस ले जाई गई, वैसे ही ज्योत जलने लगी।

ऐसा होने पर पुजारी खुद भी घबरा गए और करीब दो महीने तक उन्होंने इस बारे में किसी को कुछ नहीं बताया। बाद में उन्होंने इस बारे में कुछ ग्रामीणों को बताया तो उन्होंने भी पहले यकीन नहीं किया, लेकिन जब उन्होंने भी दीए में पानी डालकर ज्योति जलाई तो ज्योति जल उठी। उसके बाद इस चमत्कार के बारे में पूरे गांव में चर्चा फैल गई। तबसे आज तक इस मंदिर में कालीसिंध नदी के पानी से ही दीपक जलाया जाता है। जब दीपक में पानी डाला जाता है, तो वह चिपचिपे तरल पदार्थ में बदल जाता है और दीपक जल उठता है।

बरसात के मौसम में नहीं जलता दिया
इस बारें में पुजारी ने बताया कि पानी से जलने वाला ये दीपक बरसात के मौसम में नहीं जलता है। क्योंकि बरसात के मौसम में कालीसिंध नदी का वाटर लेवल बढ़ने से यह मंदिर पानी में डूब जाता है, जिससे यहां पूजा करना संभव नहीं होता।

नवरात्र में जलाई जाती है दोबारा ज्योत
इसके बाद सितंबर-अक्टूबर में आने वाली शारदीय नवरात्रि के पहले दिन यानी घटस्थापना के साथ दोबारा ज्योत जला दी जाती है, जो अगले साल बारीश के मौसम तक लगातार जलती रहती है।

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